Patna High Court Exam PYQ – Jan 8, 2023
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उपरोक्त
शिकायत को रखे जाने पर, माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, औरंगाबाद
ने दंड प्रक्रिया संहिता (यहाँ से “संहिता” का हवाला दिया जाएगा) की धारा 190(1)(a) के तहत इस अपराध का संज्ञान लिया। शिकायत पर
अपराध का संज्ञान लेने के बाद, शिकायतकर्ता को संहिता की धारा 200 के
तहत शपथ दिलाकर जाँच की गई।
संहिता
की धारा 204 के तहत प्रक्रिया जारी करने से पहले, माननीय
मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने मामले की जांच की ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि क्या
शिकायत में शिकायत किए गए व्यक्तियों के खिलाफ प्रक्रिया को जारी करने का कोई वैध
आधार है या यह निराधार है जिस पर कोई कार्रवाई करने की आवश्यकता नहीं है।
इस
प्रक्रिया में, अधिनियम की धारा 202 के
तहत जांच के दौरान शिकायतकर्ता की ओर से दो गवाहों की जाँच की गई। शिकायतकर्ता और
गवाहों को शपथ दिलाने के बाद, माननीय मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने पाया कि
भारतीय दंड संहिता की धारा 147,
148, 323, 429, 467, और 468 के
तहत दंडनीय अपराधों के लिए अभियुक्त व्यक्तियों के खिलाफ एक प्राथमिक दृष्टया
मामला बनता है, और दिनांक 04 जनवरी 2007 के
आदेशानुसार उनके खिलाफ अधिनियम की धारा 204 के तहत
प्रक्रिया जारी करने का निर्देश दिया।
Solution: -
On presentation of the aforesaid written complaint,
the learned Chief Judicial Magistrate, Aurangabad took cognizance of the
offence under section 190(1)(a) of the Code of Criminal Procedure (hereinafter
referred to as ‘the Code’). After taking cognizance of the offence on
complaint, the complainant was examined on oath under section 200 of the Code.
Before issuing process under Section 204 of the
Code, the learned Chief Judicial Magistrate conducted an inquiry into the matter
in order to ascertain the fact whether the complaint has any valid foundation
calling for issue of process to the persons complained against or whether it is
a baseless one on which no action need be taken.
In the process, two witnesses were examined on behalf of the complainant in the course of inquiry under Section 202 of the Code. After
examining the complainant and the witnesses on oath, the learned Chief Judicial
Magistrate, finding a prima facie case made out against the accused persons for
the offences punishable under Sections 147, 148, 323, 429, 467, and 468 of the
Indian Penal Code, directed vide order dated 04th January 2007 for issuance of
process under section 204 of the Code against them.