Official Language Act - 1963 for Rajbhasha Adhikari Exams

राजभाषा अधिनियम, 1963 का विस्तृत विश्लेषण

राजभाषा अधिनियम, 1963 (Official Languages Act, 1963) भारत सरकार द्वारा पारित वह कानून है जो भारत की संघ सरकार और राज्यों में हिंदी और अंग्रेज़ी के प्रयोग को नियमित करता है।
यह अधिनियम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 और 344 में वर्णित प्रावधानों के अनुसार बनाया गया।

अधिनियम की पृष्ठभूमि:

  • संविधान लागू होने के समय यह निर्णय लिया गया था कि हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में अपनाया जाएगा।

  • संविधान के अनुच्छेद 343(2) के अनुसार 15 वर्षों (1950-1965) तक अंग्रेज़ी का उपयोग राजभाषा के रूप में किया जाएगा।

  • हिंदी को राजभाषा के रूप में पूर्णतः लागू करने की दिशा में उठाए गए कदमों और दक्षिण भारत में विरोध के कारण यह अधिनियम 1963 में पारित किया गया।

प्रमुख उद्देश्य:

  • संघ सरकार और उसके कार्यालयों में हिंदी एवं अंग्रेज़ी के प्रयोग को कानूनी रूप देना।

  • हिंदी के प्रचार-प्रसार को सुनिश्चित करना।

  • उन राज्यों की सुविधा सुनिश्चित करना जहाँ हिंदी व्यापक रूप से नहीं बोली जाती।

मुख्य प्रावधान (Sections) और उनकी व्याख्या:

 धारा 1: संक्षिप्त नाम और प्रारंभ

  • इसे राजभाषा अधिनियम, 1963 कहा जाता है।

  • यह पूरे भारत में लागू होता है।

धारा 3: संचार में भाषा (Language of Communication)

  • संघ सरकार और राज्य सरकारों के बीच पत्राचार हिंदी या अंग्रेज़ी में किया जा सकता है।

  • यदि कोई राज्य हिंदी नहीं बोलता है तो उसके साथ अंग्रेज़ी का प्रयोग अनिवार्य है।

धारा 4: संसद में विधेयक, अधिनियम, अधिसूचना आदि की भाषा

  • संसद में पारित होने वाले विधेयक, अधिनियम, नियम, अधिसूचनाएँ आदि को हिंदी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में प्रकाशित किया जाएगा।

धारा 5: न्यायिक भाषा

  • सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों में कार्य की भाषा अंग्रेज़ी बनी रहेगी, जब तक कि राष्ट्रपति द्वारा अन्यथा आदेश न दिया जाए।

धारा 6: राज्यों की भाषाएं

  • राज्य विधानसभाएं अपनी कार्यकारी भाषा चुन सकती हैं।

  • लेकिन संसद और राष्ट्रपति के साथ पत्राचार के लिए अंग्रेज़ी या हिंदी का प्रयोग अनिवार्य है।

धारा 7: अनुच्छेद 348 से संबंध

  • यह धारा अनुच्छेद 348 के तहत केंद्र और राज्य की न्यायपालिका में अंग्रेज़ी के उपयोग को बनाए रखती है।

धारा 8 और 9: केंद्रीय आयोग और नियम निर्माण

  • केंद्र सरकार, हिंदी के प्रचार के लिए नियम बना सकती है।

  • संसद द्वारा राजभाषा के संबंध में आयोग का गठन किया जा सकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  • यह अधिनियम यह सुनिश्चित करता है कि हिंदी को जबरन नहीं थोपा जाए।

  • यह भाषाई विविधता को मान्यता देता है और गैर-हिंदी भाषी राज्यों के हितों की रक्षा करता है।

  • यह अधिनियम संविधान के अनुच्छेद 351 को समर्थन देता है जो हिंदी के प्रचार-प्रसार का निर्देश देता है।

संशोधन (Amendments):

  • वर्ष 1967 में इसमें संशोधन करके यह स्पष्ट किया गया कि जब तक गैर-हिंदी भाषी राज्य चाहें, अंग्रेज़ी को राजभाषा के रूप में प्रयोग किया जा सकता है।

  • इस संशोधन ने अंग्रेज़ी के अनिश्चितकालीन प्रयोग को मान्यता दी।

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