The following is a passage for translation fully IBPS SO Rajbhasha Adhikari Main Exam-oriented. Attempt it and then match your answer with the Answer provided underneath. Note the Technical Terms used in the Translation Passage.
The Indian market in 2024 has seen a mix of
positive and negative trends. India continues to be one of the fastest-growing
major economies, with GDP growth projected to be around 7%. This growth is
driven by robust domestic consumption, government spending, and a focus on
infrastructure development. The digital revolution is accelerating in India,
with increasing adoption of e-commerce, fintech, and other digital services.
This is creating new opportunities for businesses and consumers alike. The
government's "Make in India" initiative is promoting manufacturing
growth, attracting foreign investment, and creating jobs. The growing middle
class and rising disposable incomes are driving consumer spending, particularly
in sectors like automobiles, consumer durables, and retail. But the Indian
market is not without negative trends. Global economic slowdown and
geopolitical tensions can impact India's export-oriented sectors and foreign
investment flows. Rising inflation in the country can erode consumer purchasing
power and impact business costs. Global market volatility can affect Indian
stock markets and currency exchange rates. However, the long-term outlook for
the Indian market remains positive. The country's strong economic fundamentals,
demographic dividend, and government reforms are expected to drive growth and
create opportunities for businesses and investors. However, it is important to
monitor global economic conditions and domestic factors like inflation and
interest rates to assess the short-term market trends.
Solution –
2024 में भारतीय बाजार में सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह के रुझानों का
मिलित रुप देखा गया है।
भारत अभी भी दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं
में बना हुआ है, जिसकी जीडीपी वृद्धि लगभग 7% रहने का अनुमान है। यह वृद्धि मजबूत घरेलू खपत, सरकारी
खर्च, और आधारभूत संरचना के विकास पर ध्यान केंद्रन के कारण
है। भारत में डिजिटल क्रांति तेजी पकड़ रही है, जिसमें
ई-कॉमर्स, फिनटेक, और अन्य डिजिटल
सेवाओं को अपनाये जाने में वृद्धि हो रही है। यह व्यवसायों और उपभोक्ताओं दोनों के
लिए नए अवसर सृजन कर रही है। सरकार की "मेक इन इंडिया" पहल विनिर्माण
क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा दे रही है, जिससे विदेशी निवेश
हो रहा है और नौकरियां सृजन हो रही है। बढ़ता हुआ मध्यम वर्ग और बढ़ती हुई उपलब्ध
आय उपभोक्ता व्यय को विशेषकर ऑटोमोबाइल, उपभोक्ता स्थायी
वस्तुएं, और रिटेल जैसे क्षेत्रों मेंबढ़ावा दे रही है। ऐसा
नहीं है कि भारतीय बाजार में नकारात्मक रुझान नहीं है। वैश्विक आर्थिक मंदी और
भू-राजनीतिक तनाव भारत के निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों और विदेशी निवेश प्रवाह को
प्रभावित कर सकते हैं। देश में बढ़ती महंगाई उपभोक्ताओं की क्रय शक्ति को कमजोर कर
सकती है और व्यापार लागत पर प्रभाव डाल सकती है। वैश्विक बाजार की अस्थिरता भारतीय
शेयर बाजार और मुद्रा विनिमय दरों को प्रभावित कर सकती है। हालांकि, भारतीय बाजार का दीर्घकालिक दृष्टिकोण सकारात्मक बना हुआ है। देश की मजबूत
आर्थिक नींव, जनसांख्यिकीय लाभांश, और
सरकारी सुधारों के कारण वृद्धि और व्यवसायों और निवेशकों के लिए अवसर उत्पन्न होने
की संभावना है। हालांकि, वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों और
घरेलू कारकों जैसे महंगाई और ब्याज दरों पर नजर रखना महत्वपूर्ण है ताकि अल्पकालिक
बाजार रूझानों का मूल्यांकन किया जा सके।
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