हिन्दी-अंग्रेजी अनुवाद के लिए महत्वपूर्ण बातें (Important Points for Hindi-English Translation) for SSC JHT/SHT, JTO, Rajbhasha Adhikari Exams
अनुवाद दो भाषाओँ के बीच होता है। जिस भाषा का अनुवाद करना है वह भाषा श्रोंत भाषा (Source Language) और जिस भाषा में अनुवाद किया जाना है वह लक्ष्य भाषा (Target Language) कहलाता है।
श्रोंत भाषा (हिन्दी)–
· साहित्य समाज का दर्पण होता है।
लक्ष्य भाषा (अंग्रेजी) –
· Literature is the mirror of society.
अनुवाद में श्रोंत भाषा के भाव को लक्ष्य भाषा के भाव में निकटतम सम्बन्ध रखा जाता है। अर्थात, दोनों भाषाओँ में समतुल्य भाव रखना आवश्यक है।
· There is no rose without thorns.
· हरेक गुलाब में काँटे होते है।
या
· ऐसा कोई गुलाब नहीं होता जिसमें काँटे नहीं होते है।
अनुवाद करते समय दोनों ही भाषाओं के सामाजिक और सांस्कृतिक सन्दर्भों का ज्ञान रखना अति आवश्यक हो जाता है। यह ध्यान रखना आवश्यक है कि कोई प्रतीक श्रोंत भाषा में जो अर्थ दे रहा है जरूरी नहीं है की वही अर्थ लक्ष्य भाषा भी दे। चले एक उदहारण से इसे समझे।
हिंदी भाषा में 'उल्लू' शब्द का प्रयोग 'मूर्ख व्यक्ति' के लिए किया जाता है, किन्तु यही शब्द जापानियों के लिए किया जाये तो वे इस अलंकर से खुश प्रतीत होंगे क्योंकि इसका अर्थ उनकी भाषा में किसी बुद्धिमान व्यक्ति के लिए किया जाता है। अतः, जापानी भाषा में 'वह बुद्धिमान है' के लिए हम यह अनुवाद नहीं कर सकते है - 'वह उल्लू है'।
इससे इस बात की पुष्टि होती है कि अनुवाद करते समय 'श्रोंत' और 'लक्ष्य' दोनों भाषाओँ' की सांस्कृतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि का ज्ञान होना आवश्यक है।
अनुवाद का मूल उद्देश्य यही रहता है कि श्रोंत भाषा का मूल स्वरुप लक्ष्य भाषा में एक सामान रहना चाहिए। इस क्रम में वाक्य का स्वरुप बदल भी सकता है जिसे नजर-अंदाज किया जा सकता है।
उदाहरण –
· He does not live in the house.
· वह घर में नहीं रहता है।
या यूँ कहें –
· घर में वह नहीं रहता है।
यह ध्यान रखना चाहिए कि अनुवाद व्याख्या कदापि नहीं है किन्तु श्रोंत भाषा के प्रकरण को अच्छी तरह से प्रेषित करने के लिए व्याख्या का सहारा लिया जा सकता है। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि भावानुवाद ज्यादा अच्छा है अपेक्षया शब्दानुवाद के।
उदाहरण के लिए –
· Riding a tiger and difficult to dismount. (This is a proverb. It does not demand literal translation. Hence, rather do explanatory translation.)
शाब्दिक अनुवाद –
· बाघ की सवारी करना और उतरने से डरना।
व्याख्यात्मक अनुवाद -
· शुरुआत में रोमांचक कार्य समझकर बाद में वही कार्य जटिल और असहनीय होना।
ध्यान रखना है कि शब्दों के कई अर्थ हो सकते है। विनम्रता जताने वाले शब्द, क्रोध जताने वाले शब्द, उदासीन भूमिका निभाने वाले शब्द इत्यादि। अतः एक ही शब्द के अलग-अलग रूपों का अध्ययन और विश्लेषण अति आवश्यक है। इस तरह का अध्ययन श्रोंत और लक्ष्य दोनों के भाषाओँ का करना आवश्यक है।
उदाहरण के लिए –
· She read the letter and turned pale. "I'm undone," she said.
भावानुवाद –
· पत्र पढ़कर उसने क्षीण आवाज में बोला- सब खत्म हो गया।
श्रोंत भाषा और लक्ष्य भाषा दो अलग-अलग रेल की पटरियों के समान है जिसे अपने प्रयासों से ज्यादा से ज्यादा निकट लाया जाता है।
अनुवाद में विद्वता या बड़े-बड़े शब्दों के प्रयोग का दिखावा नहीं है अपितु इसे अपने प्रयासों से ग्राह्य बनाया जाता है।
नोट:
उपर्युक्त बिन्दुओं पर बार-बार दृष्टिपात करें ताकि अनुवाद का यथार्थ रूप का पता चल सकें. अनुवाद अभ्यास करने से पहले ऐसा जरूर कर लें.