व्यंजन वर्ण के उच्चारण स्थान कवर्ग – कण्ठ से चवर्ग – तालु से टवर्ग – मूद्र्धा से तवर्ग – दन्त से पवर्ग – ओष्ठ से
इसे भी जानें- कण्ठय – कण्ठ और निचली जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – अ, आ, कवर्ग, ह और विसर्ग तालव्य – तालु और जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – इ, ई, चवर्ग, य और श मूर्द्धन्य – मूद्र्धा और जीभ के स्पर्श वाले वर्ण – ऋ, टवर्ग, र और ष दन्त्य – दाँत और जीभ के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – तवर्ग, ल, स कण्ठतालव्य – कण्ठ और तालु में जीभ के स्पर्श से बोले जाने वाले वर्ण – ए, ऐ ओष्ठ्य – दोनो ओठों के स्पर्श से बोले जानेवाले वर्ण – उ, ऊ, पवर्ग दन्तोष्ठ्य – दाँत से जीभ और ओठों के कुछ योग से बोला जानेवाला वर्ण – व घोष वर्ण – पं्रत्येक वर्ग का तीसरा, चैथा और पाँचवा वर्ण, सारे स्वरवर्ण, य, र, ल, व और ह। अघोष वर्ण – क, ख, च, छ, ट, ठ, त, थ, प, फ, श, ष, स। हल् – व्यंजन के नीचे एक तिरछी रेखा को हल् कहते है। नये व्यंजन – क्ष, त्र, ज्ञ सन्धि – दो वर्णों के मेल से होनेवाले विकार को ’सन्धि’ कहते है। इसके तीन भेद है- स्वरसन्धि – दीर्घ, गुण, वृद्धि, यण् और अयादि इसके प्रकार है। व्यंजनसन्धि – व्यंजन से स्वर अथवा व्यंजन के मेल से उत्पन्न विकार को ’व्यंजनसन्धि’ कहते है। विसर्गसन्धि – विसर्ग के साथ स्वर या व्यंजन के मेल से जो विकार होता है उसे ’विसर्गसन्धि’ कहते है।